2016
भावातीत ध्यान अनेक समस्याओं का समाधन: ब्रह्मचारी गिरीश जी दिनाँक 17.05.16. महर्षि महेश योगी जी प्रणीत भावातीत ध्यान का नियमित अभ्यास व्यक्ति और समाज की अनेकानेक समस्याओं का समाधन प्रस्तुत करता है। भावातीत ध्यान की प्रक्रिया अत्यन्त सरल, सहज, स्वाभाविक और प्रयासरहित है। इसे किसी भी धर्म, आस्था, विश्वास, विचारधरा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, जाति, लिंग के व्यक्ति एक बार सीखकर जीवनभर अभ्यास कर सकते हैं। भावातीत ध्यान आराम से कहीं भी बैठकर किया जा सकता है। विश्व भर में 700 से अध्कि वैज्ञानिक अनुसंधनों द्वारा प्रमाणित यह एक मात्रा ध्यान की पद्धति है जिसे 100 से भी अध्कि देशों के नागरिकों ने सीखा है और वे चेतना की उच्च अवस्थाओं का अनुभव करके अनेकानेक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इसका व्यक्तिगत अभ्यास व्यक्ति व उसके परिवार के लिये और समूह में अभ्यास पूरे समाज के लिये लाभ दायक है यह विचार ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज महर्षि शिविर में अपने सम्बोध्न में व्यक्त किये। उन्होंने बताया कि इसके नियमित अभ्यास से मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षेत्रा में पूर्णता आती है, बुद्धि तीक्ष्ण और समझदारी गहरी होती है, बहुमुखी समग्र चिन्तन करने की शक्ति बढ़ती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है। संबंध्ति व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ती है, सहयोग की भावना बढ़ती है, सहिष्णुता बढ़ती है। शारीरिक व मानसिक क्षमताओं का पूर्ण जागरण और विकास होता है। सुख शाँति और असीम आनन्द की प्राप्ति होती है। इस प्रकार भावातीत ध्यान परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी का सम्पूर्ण मानवता को एक अनुपम उपहार है। सायंकाल सिंहस्थ महाकुम्भ में महर्षि शिविर के दिव्य प्रांगण में महर्षि महेश योगी जी के प्रिय एवं तपोनिष्ठ साधक शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी के सान्निध्य में सुप्रसिद्ध कथाव्यास आचार्य पं. निलिम्प त्रिपाठी जी द्वारा श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथामृत का संगीत लहरियों के मध्य प्रवाह प्रारम्भ किया गया। उन्होंने बताया कि देवी माँ कल्याणकारी हैं। उनकी दृष्टि वात्सल्यमयी है, सभी कष्टों का निवारण करने वाली है, दुःखों के बीच सांत्वना प्रदान करने वाली है। श्री सुखदेव जी महाराज द्वारा महर्षि व्यास जी को सुनाई गई श्रीमद् देवी भागवत पुराण की कथा का बारम्बार श्रवण करने से ज्ञान और चेतना दोनों की प्राप्ति संभव हो जाती है। इसका श्रवण मात्र ही मनुष्य में स्थित अल्पता के बोध को समाप्त कर देता है और उसे विचार और कर्म के उस विशाल क्षेत्र में प्रवेश कराकर उसे सदैव के लिये मानव कल्याण हेतु निबद्ध कर देता है। उसकी भाषा अलंकृत हो जाती है, उसमें से सद्शब्द ही निकलते हैं और अपशब्द सदैव के लिये विलोपित हो जाते हैं। उन्होंने महर्षि व्यास जी के द्वारा चार वेदों एवं उनसे निकले उपवेद, वेदांग, संहिता आदि की रचना की अत्यन्त रोचकपूर्ण ढंग से व्याख्या की, जिससे संपूर्ण श्रोतागण रोमांचित हो गये। रात्रि में महर्षि विद्या मंदिर नोएडा की विख्यात शास्त्रीय संगीत व भजन गायिका श्रीमती अनुराधा अगस्ती के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने भगवत् भजनों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ ही देश के जाने माने तबला व संतूर वादक डाॅ. श्रीकान्त अगस्ती ने संगत की। जब विद्यार्थियों ने भजमन नारायण नारायण नारायण..... का संगीत लहरियों के बीच उद्घोष किया तब समस्त श्रोतागण झूम उठे। महर्षि शिविर में विश्व शांति एवं सम्पूर्ण मानव कल्याण के उद्देश्य को लेकर 151 वैदिक पंडितों द्वारा प्रातःकाल पाठात्मक अतिरूद्राभिषेक किया गया। इसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त किया। इसके साथ ही लोगों को निःशुल्क ज्योतिषीय सलाह प्रसिद्ध ज्योतिष्विद पंडित विजय द्विवेदी के द्वारा दी जा रही है। शिविर में प्रतिदिन प्रातः योग, प्राणायाम और भावातीत ध्यान का अभ्यास कराया जा रहा है।
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