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2025
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    ब्रह्मचारी गिरीश जी ने श्री वेद प्रकाश शर्मा, श्री रामदेव, आचार्य श्री बसंत दास के साथ परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा आयोजित श्री हनुमान कथा के एक सत्र में भाग लिया। बागेश्वर धाम के श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी कथा व्यास हैं। सत्र के अंत में ब्रह्मचारी जी ने शास्त्री जी से भेंट करके उन्हें बधाई दी और शॉल, रुद्राक्ष की माला, मिष्ठान, फल बास्केट और महर्षि संस्थान की वार्षिक पत्रिका ज्ञान 2025 से सम्मानित किया।
    Posted on: 2025-01-29T15:35:35.129
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    ब्रह्मचारी गिरीश जी ने मेरठ से सांसद श्री अरुण गोविल जी से भेंट की और शुभकामनाएं दीं। श्री गोविल ने श्री रामानंद सागर जी द्वारा निर्मित टेलीविज़न शो रामायण में श्री राम की ऐतिहासिक भूमिका निभाई है।
    Posted on: 2025-01-29T15:30:55.188
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    श्री वेद प्रकाश शर्मा ने ब्रह्मचारी गिरीश जी महर्षि आश्रम के प्रतिनिधि स्वरुप परम पूज्य स्वामी लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज भेंट करके उन्हें दिनांक ६ फरवरी २०२५, गुरुवार को महर्षि संस्थान द्वारा महर्षि आश्रम, संगमतट, अरैल प्रयागराज में आयोजित परिचर्चा "सनातन धर्म के संरक्षण के लिए धर्मपीठों में परस्पर सामंजस्य की त्वरित आवश्यकता' में आमंत्रित किया. स्वामी जी ने कृपापूर्वक शीघ्र ही महर्षि आश्रम में पधारने की सहमति प्रदान की. वेद प्रकाश जी ने महर्षि आश्रम की वार्षिक पत्रिका "ज्ञान २०२५" भी पूज्य स्वामी जी को भेंट की. स्वामी जी ने ब्रह्मचारी जी को सहस्र कुंडीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में आमंत्रित कियाl
    Posted on: 2025-01-28T12:37:00.392
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आचार्य बसंत दास, श्री वेद प्रकाश शर्मा, श्री रामदेव के साथ जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज से भेंट करके उन्हें दिनांक ६ फरवरी २०२५, गुरुवार को महर्षि संस्थान द्वारा महर्षि आश्रम, संगमतट, अरैल प्रयागराज में आयोजित परिचर्चा "सनातन धर्म के संरक्षण के लिए धर्मपीठों में परस्पर सामंजस्य की त्वरित आवश्यकता' में आमंत्रित किया. स्वामी जी ने आमंत्रण पत्र का अवलोकन किया और परिचर्चा में उपस्थिति का आश्वासन दिया. ब्रह्मचारी जी ने शाल, रुद्राक्ष माला, पुष्पमाला, मिष्ठान तथा फल बास्केट से स्वामी जी का सम्मान किया. गिरीश जी ने वार्षिक "ज्ञान २०२५" भी स्वामी जी को भेंट की. स्वामी जी ने भी सिल्क दुपट्टा पहनाकर ब्रह्मचारी जी को आशीर्वाद प्रदान कियाl
    Posted on: 2025-01-28T12:36:31.575
  • ज्ञानयुग दिवस मनाया महर्षि महेश योगी का 108 वां जन्मोत्सव।

    2025

    ज्ञान चेतना में निहित है : ब्रह्मचारी गिरीश जी विश्व ख्याति प्राप्त चेतना वैज्ञानिक महर्षि महेश योगी जी के आज जन्मदिन पर आयोजित "ज्ञान युग दिवस समारोह" महाकुंभ की धरती प्रयागराज में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस समारोह के साक्षी थे अनंत श्री विभूषित ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, बद्रिकाश्रम, हिमालय । साथ में अनेक विद्वान साधु संतों के साथ महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति प्रमुख रही। गंगा संगम तट के किनारे महर्षि आश्रम के विशाल प्रांगण में उपस्थित हजारों लोगों को आशीर्वाद देते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती महाराज जी ने महर्षि महेश योगी जी की उपलब्धियां का बखान किया। शंकराचार्य महाराज ने बताया कि "महर्षि जी ने अपने गुरुद्वारा प्राप्त ज्ञान विज्ञान और भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व में फैलाया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के भी जो उद्देश्य थे उनको भी महर्षि महेश योगी जी ने पूरा किया है। जगतगुरु शंकराचार्य जी ने महर्षि संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि "बड़े गौरव की बात है कि गिरीश जी महर्षि जी के सभी संकल्पों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।" समारोह को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि "आज का यह दिन हम सब लोगों को महर्षि जी के वेद ज्ञान, ध्यान, शिक्षा एवं संस्कृति को स्मरण करने और उसे आत्मसात करने का दिन है। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि जी के जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियां के बारे में विस्तृत जानकारी दी।" उन्होंने कहा कि महर्षि जी को किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं थी इसका प्रमाण उनके विस्तृत ज्ञान से मिलता है जो उन्होंने पूरी दुनिया को दिखाया है। ब्रह्मचारी जी ने बताया कि महर्षि जी कहा करते थे कि सारा ज्ञान हमारी अपनी चेतना में निहित है और इसी चेतना से हमें सारे ज्ञान की प्राप्ति होती है। गिरीश जी ने कहा कि यह महर्षि जी के ज्ञान को अनेक शोधों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि महर्षि जी द्वारा प्रणीत भावातीत ध्यान का अभ्यास प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि वह अपने विभिन्न प्रकार की परेशानियां और तनावों से मुक्ति पा सकें। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के प्रमुख चिदानंद जी महाराज ने कहा कि "महर्षि का भावातीत ध्यान जीवन जीने की कला सिखाता है। महर्षि जी ने इसको ज्ञान से जोड़ा यही कारण है कि दुनिया की सार्वभौमिक व्यवस्था में आज ज्ञान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है इसलिए हमें ध्यान में मन लगाना चाहिए। "भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के माध्यम से विश्व शांति की स्थापना विषय पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर भुवनेश शर्मा, महर्षि संस्थान की संस्था महा के निदेशक मधुसूदन देशपांडे जी ने भी अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि "मन की शांति भी विश्व शांति का आधार है। मन की शांति प्राप्त करने के लिए महर्षि जी ने सहज, सरल एवं स्वाभाविक पद्धति हम सभी को प्रदान की है। इसके प्रातः संध्या मात्र 20 मिनट नियमित अभ्यासकर्ता को कई भौतिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं जिससे व्यक्ति स्वस्थ एवं आनंदित रहता है। ऐसे व्यक्ति ही पहले समाज में फिर देश में एवं विश्व में शांति स्थापित कर सकते हैं।" संगोष्ठी का समापन करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि "हमारी कहानियों, दृष्टांतों, रामचरित मानस, श्री मदभगवत गीता आदि के निष्कर्षों में छोटी-छोटी शिक्षाएं अंर्तनिहित हैं जो हमें भारत की परंपराओं के बारे में बतलाती हैं । इनसे हम सबको सीखना चाहिए और इन परंपराओं पर चलते हुए मन एवं कर्म दोनों को निर्लिप्त रखना चाहिए तभी हम शांत रह सकते हैं और विश्व में शांति ला सकते हैं।" समारोह में जगतगुरु शंकराचार्य की उपस्थिति में सैकड़ों साधु संत, कुंभ मेले में पधारे लोग, महर्षि संस्थान के अधिकारी -कर्मचारी एवं विभिन्न महर्षि विद्या मंदिर विद्यालयों के बच्चे उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ वैदिक गुरु ज्ञान परंपरा के अनुसार वैदिक विधि विधान, वैदिक गुरु पूजन तथा शांति पाठ के साथ प्रारंभ हुआ।
    Posted on: 2025-01-23T16:37:34.995
  • ज्ञानयुग दिवस मनाया महर्षि महेश योगी का 108 वां जन्मोत्सव।

    2025

    ज्ञान चेतना में निहित है : ब्रह्मचारी गिरीश जी विश्व ख्याति प्राप्त चेतना वैज्ञानिक महर्षि महेश योगी जी के आज जन्मदिन पर आयोजित "ज्ञान युग दिवस समारोह" महाकुंभ की धरती प्रयागराज में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस समारोह के साक्षी थे अनंत श्री विभूषित ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, बद्रिकाश्रम, हिमालय । साथ में अनेक विद्वान साधु संतों के साथ महर्षि महेश योगी संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति प्रमुख रही। गंगा संगम तट के किनारे महर्षि आश्रम के विशाल प्रांगण में उपस्थित हजारों लोगों को आशीर्वाद देते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती महाराज जी ने महर्षि महेश योगी जी की उपलब्धियां का बखान किया। शंकराचार्य महाराज ने बताया कि "महर्षि जी ने अपने गुरुद्वारा प्राप्त ज्ञान विज्ञान और भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व में फैलाया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के भी जो उद्देश्य थे उनको भी महर्षि महेश योगी जी ने पूरा किया है। जगतगुरु शंकराचार्य जी ने महर्षि संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि "बड़े गौरव की बात है कि गिरीश जी महर्षि जी के सभी संकल्पों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।" समारोह को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि "आज का यह दिन हम सब लोगों को महर्षि जी के वेद ज्ञान, ध्यान, शिक्षा एवं संस्कृति को स्मरण करने और उसे आत्मसात करने का दिन है। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि जी के जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियां के बारे में विस्तृत जानकारी दी।" उन्होंने कहा कि महर्षि जी को किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं थी इसका प्रमाण उनके विस्तृत ज्ञान से मिलता है जो उन्होंने पूरी दुनिया को दिखाया है। ब्रह्मचारी जी ने बताया कि महर्षि जी कहा करते थे कि सारा ज्ञान हमारी अपनी चेतना में निहित है और इसी चेतना से हमें सारे ज्ञान की प्राप्ति होती है। गिरीश जी ने कहा कि यह महर्षि जी के ज्ञान को अनेक शोधों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है। ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि महर्षि जी द्वारा प्रणीत भावातीत ध्यान का अभ्यास प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि वह अपने विभिन्न प्रकार की परेशानियां और तनावों से मुक्ति पा सकें। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के प्रमुख चिदानंद जी महाराज ने कहा कि "महर्षि का भावातीत ध्यान जीवन जीने की कला सिखाता है। महर्षि जी ने इसको ज्ञान से जोड़ा यही कारण है कि दुनिया की सार्वभौमिक व्यवस्था में आज ज्ञान का प्रभाव बढ़ता जा रहा है इसलिए हमें ध्यान में मन लगाना चाहिए। "भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के माध्यम से विश्व शांति की स्थापना विषय पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु प्रोफेसर भुवनेश शर्मा, महर्षि संस्थान की संस्था महा के निदेशक मधुसूदन देशपांडे जी ने भी अपने विचार प्रकट किये। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि "मन की शांति भी विश्व शांति का आधार है। मन की शांति प्राप्त करने के लिए महर्षि जी ने सहज, सरल एवं स्वाभाविक पद्धति हम सभी को प्रदान की है। इसके प्रातः संध्या मात्र 20 मिनट नियमित अभ्यासकर्ता को कई भौतिक एवं मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं जिससे व्यक्ति स्वस्थ एवं आनंदित रहता है। ऐसे व्यक्ति ही पहले समाज में फिर देश में एवं विश्व में शांति स्थापित कर सकते हैं।" संगोष्ठी का समापन करते हुए ब्रह्मचारी गिरीश जी ने कहा कि "हमारी कहानियों, दृष्टांतों, रामचरित मानस, श्री मदभगवत गीता आदि के निष्कर्षों में छोटी-छोटी शिक्षाएं अंर्तनिहित हैं जो हमें भारत की परंपराओं के बारे में बतलाती हैं । इनसे हम सबको सीखना चाहिए और इन परंपराओं पर चलते हुए मन एवं कर्म दोनों को निर्लिप्त रखना चाहिए तभी हम शांत रह सकते हैं और विश्व में शांति ला सकते हैं।" समारोह में जगतगुरु शंकराचार्य की उपस्थिति में सैकड़ों साधु संत, कुंभ मेले में पधारे लोग, महर्षि संस्थान के अधिकारी -कर्मचारी एवं विभिन्न महर्षि विद्या मंदिर विद्यालयों के बच्चे उपस्थित थे। समारोह का शुभारंभ वैदिक गुरु ज्ञान परंपरा के अनुसार वैदिक विधि विधान, वैदिक गुरु पूजन तथा शांति पाठ के साथ प्रारंभ हुआ।
    Posted on: 2025-01-23T16:37:22.081
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    तीर्थ राज प्रयाग में आयोजित महा कुम्भ के अवसर पर अरैल , प्रयागराज में संगम तट स्थित महर्षि आश्रम में दिनाँक 15.01.2025 को समस्त विश्व के कल्याण हेतु महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति में वैदिक पंडितों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ एवं हवन सम्पादित किये गए। इस अवसर पर ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने सन्देश में कहा कि ” आज सम्पादित रुद्राष्टाध्यायी के1331 पाठ एवं हवन का मुख्य प्रयोजन विश्व के प्रत्येक नागरिक एवं राष्ट्र को अजयेता प्रदान करना है। ” अपरान्ह में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन प्रारंभ हुआ । यह कथामृत 21 जनवरी तक प्रवाहित होती रहेगी। कथा का वाचन वृंदावन से पधारे विश्व प्रसिद्ध कथा व्यास एवं विद्वान श्री आचार्य बद्रीश जी महाराज के द्वारा किया जाएगा। महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी की उपस्थिति में कथा का प्रारंभ करते हुए श्री आचार्य बद्रीश जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा का महत्व समझाया एवं बताया कि राजा परीक्षित का मोक्ष एक सप्ताह के श्रीमद् भागवत के श्रवण से ही हुआ था और अभी तक न जाने कितने ही भक्तों ने श्रीमद् भागवत की कथा का श्रवण कर इसका पुण्यलाभ प्राप्त किया है। उन्होंने यह भी कहा कि कथा से पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए शुद्ध एवं निर्मल मन वाला श्रोता होना भी अत्यंत आवश्यक है ताकि कथा एवं उसके सार से मन ईश्वर भक्ति से ओत-प्रोत हो जाये । कथा को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे । कथा प्रारंभ होने के पहले एक भव्य कलश शोभा यात्रा महर्षि स्मारक से प्रारंभ हुई जिसमें पंडित गणों एवं महिलाओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। यह यात्रा अरैल क्षेत्र प्रयागराज के मार्गों से होकर कथा पंडाल तक भव्यता के साथ पहुंची। मार्ग में स्थान- स्थान पर श्रद्धालुओं ने कलश शोभा यात्रा पर पुष्प वर्षा की। संध्याकाल में विख्यात सितार वादक प्रोफेसर रवि शर्मा के सितार वादन एवं महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय सुल्तानपुर की चयनित छात्राओं द्वारा प्रस्तुत भजन एवं सामूहिक नृत्य ने उपस्थित भारी जन समूह को आल्हादित कर दिया ।
    Posted on: 2025-01-23T16:35:26.671
  • Mahakumbh Prayagraj 2025

    2025

    वेदों का सुमधुर पाठ औऱ श्रवण ही देवताओं से आशीर्वाद प्राप्ति का साधन है : ब्रह्मचारी गिरीश जी तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महा कुम्भ - 2025 के अवसर पर प्रयागराज में संगम तट स्थित महर्षि आश्रम में महर्षि महेश योगी जी के तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज महर्षि विद्या मंदिर के कुछ निदेशकों के साथ विंध्याचल स्थित विंध्यवासिनी देवी मंदिर पहुंचकर देवी माँ की पूजा अर्चना की एवं विश्व के समस्त नागरिकों के लिए उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि एवं शांति हेतु उनसे आशीर्वाद माँगा। इस शुभ अवसर पर उन्होंने बतलाया कि “ विंध्यवासिनी देवी समस्त महादेविओं लक्ष्मी जी, काली जी, दुर्गा जी, सरस्वती जी की मूल रूप हैं। केवल इनकी पूजा अर्चना से समस्त महादेविओं की कृपा एवं आशीर्वाद स्वमेव प्राप्त हो जाता है।” इसके पश्चात उन्होंने विंध्याचल शहर के समीप स्थित महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ पहुँचकर वहां अध्ययनरत 145 बटुक पंडितों से भेंट की तथा उनके द्वारा किये जा रहे वेदों के अध्ययन की स्थिति की जानकारी प्राप्त की । उन्होंने बटुक पंडितों द्वारा किये जा रहे वेदपाठ का श्रवण भी किया । ब्रह्मचारी गिरीश जी ने उन्हें बतलाया कि ” वेद पूर्ण ज्ञान हैं, वे आत्मा के स्पंदन हैं । वेदों का पाठ ऊँची आवाज में न कर धीमी एवं मीठी ध्वनि से करना चाहिए क्योंकि वेदों का सुमधुर पाठ ही देवताओं से आशीर्वाद प्राप्ति का साधन है।” उन्होंने सभी बटुक पंडितों, उनके आचार्यों एवं विद्यापीठ के व्यवस्थापक को उनके उज्जवल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रदान की ।
    Posted on: 2025-01-23T16:34:50.176
  • महा स्वास्थ्य शिक्षा अभियान

    2025

    महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज भोपाल में आयोजित २१वै आयुर्वेद पर्व में भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव ने की. साथ में प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा व आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और भोपाल से ही विधान सभा सदस्य श्री भगवानदास सबनानी भी उपस्थित थे. मंत्री द्वय ने मध्य प्रदेश में आयुर्वेद के क्षेत्र में शासन द्वारा किये जा रहे कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और आयुर्वेद और उसके माध्यम से जनता के स्वास्थ्य लाभ सम्बन्धी अनेक घोषणाएं भी कीं. इस अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष पद्मभूषण वैद्य श्री देवेंद्र त्रिगुणा और वैद्य श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष आचार एवं पंजीयन, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, आयुष विभाग केंद्रीय शासन एवं मध्य प्रदेश शाशन के वरिष्ठ अधिकारी और भारत भर से पधारे अनेक वरिष्ठ वैद्य और विद्वान उपस्थित थे. ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने सम्बोधन में कक्षा एक से पीएच डी स्तर तक शिक्षा में स्वास्थ्य शिक्षा को सम्मिलित करने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया कि महर्षि संस्थान ने "महा स्वास्थ्य शिक्षा अभियान" प्रारम्भ किया है. भारत के ५०० जिलों मैं १००० वैद्यों की नियुक्ति करके जनमानस को आयुर्वेद के निवारक सिद्धांतों में प्रशिक्षित किया जायेगा जिससे रोगी होने से बचा जा सके. गिरीश जी ने माननीय मुख्य मंत्री महोदय को प्रस्तावित किया कि न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य की नगरी अवंतिका में एक "वैदिक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय" की स्थापना की जाये. महर्षि संस्थान यह न्यायालय मध्य प्रदेश शासन की सहायता से स्थापित करने को तैयार है. महर्षि जी ने इस हेतु सन ८० के दशक में प्रस्ताव किया था किन्तु उस समय किसी कारणवश इसकी स्थापना नहीं हो पायी थी. महर्षि संस्थान अब इस कार्य को सम्पादित करना चाहता है. माननीय मुख्य मंत्री महोदय ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में ब्रह्मचारी गिरीश जी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि शासन इसकी अनुमति देगा और स्थापना में सहयोग देगा. मीडिया द्वारा प्रश्नों के उत्तर में ब्रह्मचारी जी ने कहा की "ये कोई धार्मिक न्यायालय नहीं होगा, किन्तु भारतीय वैदिक सिद्धांतों, भारतीय न्याय पद्धति अर्थात पूर्ण ज्ञान पर आधारित वैश्विक समस्यों को सरलता से सुलझाकर विश्व शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा. उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही विस्तृत प्रस्ताव सरकार को प्रेषित करेंगे.
    Posted on: 2025-01-23T16:34:02.429
  • महा स्वास्थ्य शिक्षा अभियान

    2025

    महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलाधिपति ब्रह्मचारी गिरीश जी ने आज भोपाल में आयोजित २१वै आयुर्वेद पर्व में भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव ने की. साथ में प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा व आयुष मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और भोपाल से ही विधान सभा सदस्य श्री भगवानदास सबनानी भी उपस्थित थे. मंत्री द्वय ने मध्य प्रदेश में आयुर्वेद के क्षेत्र में शासन द्वारा किये जा रहे कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और आयुर्वेद और उसके माध्यम से जनता के स्वास्थ्य लाभ सम्बन्धी अनेक घोषणाएं भी कीं. इस अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष पद्मभूषण वैद्य श्री देवेंद्र त्रिगुणा और वैद्य श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष आचार एवं पंजीयन, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, आयुष विभाग केंद्रीय शासन एवं मध्य प्रदेश शाशन के वरिष्ठ अधिकारी और भारत भर से पधारे अनेक वरिष्ठ वैद्य और विद्वान उपस्थित थे. ब्रह्मचारी गिरीश जी ने अपने सम्बोधन में कक्षा एक से पीएच डी स्तर तक शिक्षा में स्वास्थ्य शिक्षा को सम्मिलित करने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया कि महर्षि संस्थान ने "महा स्वास्थ्य शिक्षा अभियान" प्रारम्भ किया है. भारत के ५०० जिलों मैं १००० वैद्यों की नियुक्ति करके जनमानस को आयुर्वेद के निवारक सिद्धांतों में प्रशिक्षित किया जायेगा जिससे रोगी होने से बचा जा सके. गिरीश जी ने माननीय मुख्य मंत्री महोदय को प्रस्तावित किया कि न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य की नगरी अवंतिका में एक "वैदिक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय" की स्थापना की जाये. महर्षि संस्थान यह न्यायालय मध्य प्रदेश शासन की सहायता से स्थापित करने को तैयार है. महर्षि जी ने इस हेतु सन ८० के दशक में प्रस्ताव किया था किन्तु उस समय किसी कारणवश इसकी स्थापना नहीं हो पायी थी. महर्षि संस्थान अब इस कार्य को सम्पादित करना चाहता है. माननीय मुख्य मंत्री महोदय ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में ब्रह्मचारी गिरीश जी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि शासन इसकी अनुमति देगा और स्थापना में सहयोग देगा. मीडिया द्वारा प्रश्नों के उत्तर में ब्रह्मचारी जी ने कहा की "ये कोई धार्मिक न्यायालय नहीं होगा, किन्तु भारतीय वैदिक सिद्धांतों, भारतीय न्याय पद्धति अर्थात पूर्ण ज्ञान पर आधारित वैश्विक समस्यों को सरलता से सुलझाकर विश्व शांति की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा. उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही विस्तृत प्रस्ताव सरकार को प्रेषित करेंगे.
    Posted on: 2025-01-23T16:33:09.364